जबलपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर प्रकरणों की मंजूरी में जमकर बंदरबांट हुई। स्थानीय स्तर से किसी के भी प्रस्ताव लेकर शासन स्तर को भेज दिए गए। बाद में गाइडलाइन जारी हुई तो पता चला कि तमाम चरणों में जांच के बाद भी अनेक अपात्रों ने योजना का पैसा निकलवा लिया। इसके बाद प्रशासन ने कायदों का अध्ययन कर तकनीक के माध्यम से ऐसे हितग्राहियों के नाम तलाशने शुरू किए जिन्होंने अपात्र होते हुए भी पैसे प्राप्त कर लिए थे। जिले में ऐसे 150 अपात्र लोगोें से पीएम आवास योजना की राशि वापस शासन के खाते में जमा कराई गई है।
गरीब हितग्राहियों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ढाई-ढाई लाख रुपये स्वीकृत किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में जबलपुर जिले में भी 97 हजार 824 से अधिक आवासों का निर्माण हो चुका है। केंद्र शासन की ओर से इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रकरणों को जल्दी आगे बढ़ाने आपाधापी मची है। इसी आपाधापी का लाभ उठाने की जुगत में कुछ चतुर-सुजान भी सक्रिय हैं। ऐसे ही लोगों को पकड़ने शासन स्तर अदृश्य जेमर लगाया गया है। इस जैमर के माध्यम से उन लोगों का पता लगाया जा रहा है, जिन्होंने नियम विरुद्ध तरीके से आवास स्वीकृत करा लिए हैं और सरकार की राशि आहरित करा ली है। ये जैमर हितग्राहियों का आधार कार्ड, पैनकार्ड और है। इनके माध्यम से आवेदक की आर्थिक स्थिति, बैंक खातों, वाहनों और वैभव के अन्य संसाधनों की जानकारी प्राप्त की जा रही है। इसके अलावा सामाजिक स्तर पर लोगों से इनपुट लिया जा रहा है। जिले में 150 ऐसे लोगों का पता चला है, जिन्होंने गलत जानकारी देकर प्रकरण स्वीकृत कराकर कर राशि हथिया ली।
खातों पर होल्ड तक लगवाया
बताया जाता है कि अपात्रों का पता चलते ही पहले तो उनको जनपद कार्यालयों में बुलवाकर सरकारी पैसा जमा कराने के लिए समझाइश दी गई। इसके बाद कार्रवाई और एफआईआर की धमकी दी गई। इतने के बावजूद जिन लोगों ने पैसे नहीं जमा करवाए तो ऐसे लोगों के बैंक खातों पर होल्ड लगाकर उनसे पैसे जमा करवाए गए।
कहां से कितने अपात्र
प्रशासनिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की जबलपुर जनपद में 23, कुंडम में 19, मझौली में आठ, पनागर में 22, पाटन में पांच, शहपुरा में 31 और सिहोरा में 42 अपात्र लोगों ने पैसे प्राप्त कर लिए थे। इन सभी से सरकारी पैसा शासन के खाते में जमा करा लिया गया है।
जिले में 150 अपात्र हितग्राहियों ने पीएम-आवास की राशि स्वीकृत करा ली थी। सबसे ज्यादा 42 मामले सिहोरा जनपद में रहे। इन सभी से राशि वापस सरकारी खाते में जमा करवा ली गई है।
-मनोज सिंह, एसीइओ-जिला पंचायत